जदयू ने एनडीए के साथ सीट शेयरिंग में जो 16 सीटें हासिल की हैं उस पर अपने प्रत्याशी तय करने में उसने जाति आधारित गणना काे विशेष रूप से केंद्र में रखा है। कुल 16 प्रत्याशियों 11 प्रत्याशी पिछड़ा व अति पिछड़ा वर्ग से हैं।
सवर्ण समाज से तीन, एक अल्पसंख्यक व एक अनुसूचित जाति के प्रत्याशी जदयू की टिकट पर एनडीए प्रत्याशी के रूप में मैदान में दिखेंगे।
किशनगंज लोकसभा क्षेत्र से समीकरण के लिहाज से अल्पसंख्यक समाज से ही प्रत्याशी का होना तय रहता है। इसी तरह गोपालगंज सीट सुरक्षित सीट रहने की वजह से वहां से अनुसूचित जाति का ही प्रत्याशी चाहि्ए।
जदयू ने अतिपिछड़ा समाज के जिन पांच प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है वह 2019 के चुनाव में जीते हुए सांसद हैं। जदयू ने अति पिछड़ा वर्ग के अपने जीते हुए सांसदों के नाम से किसी तरह की कोई छेड़-छाड़ नहीं की है।
जहानाबाद से चंद्रेश्वर चंद्रवंशी का नाम तय है पर अगर वह नहीं लड़ते हैं तो फिर उनकी जगह उनके पुत्र को जदयू वहां से उतारेगी।
पिछड़ा वर्ग से आधा दर्जन पहुंची संख्या
वर्ष 2019 में पिछड़ा वर्ग से जदयू के पांच सांसद जीत कर आए थे। जदयू ने उन सभी को फिर से मैदान में उतारने का निर्णय किया है।
इसके अतिरिक्त इस सूची में इस बार एक अतिरिक्त नाम और जोड़ दिया गया है। सीवान से जदयू की टिकट पर पहली बार मैदान में उतरने जा रहीं विजय लक्ष्मी पिछड़ा वर्ग से आती हैं।
सवर्ण समाज के दो प्रत्याशी बढ़ाए
सवर्ण समाज से जदयू ने इस बार तीन लोगों को अपने प्रत्याशी बनाए हैं। दो सीट बढ़ाए हैं इस श्रेणी में। सीट शेयरिंग से जदयू के खाते में आयी शिवहर सीट पर लवली आनंद, प्रत्याशी बदलने के बाद सीतामढ़ी सीट पर देवेश चंद्र ठाकुर के रूप में दो नए नाम जदयू ने सवर्ण समाज से जोड़े हैं। मुंगेर सीट पर पूर्व की तरह ललन सिंह जदयू की टिकट पर मैदान में होंगे।